माथे पर तिलक क्यों लगाया जाता है? | Why Do We Apply Tilak on Forehead.

SIYARAM PAL

9/3/2025

Types of Hindu Tilak
Types of Hindu Tilak

हिंदू धर्म में तिलक लगाना केवल एक सांस्कृतिक परंपरा नहीं, बल्कि गहन आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व से जुड़ा हुआ कर्म है। चाहे मंदिर जाना हो, पूजा करना हो या कोई शुभ अवसर हो—हम अपने मस्तक पर तिलक लगाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह केवल धार्मिक पहचान है या इसके पीछे कोई गूढ़ कारण भी छिपा है? तिलक न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह मन और ऊर्जा केंद्रों को जाग्रत करने का एक माध्यम भी है। इस लेख में हम तिलक की उत्पत्ति, उसका आध्यात्मिक अर्थ और आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसके प्रभावों को विस्तार से समझेंगे।

भारतीय संस्कृति में तिलक को केवल सजावट नहीं बल्कि ऊर्जा और आत्मबल का प्रतीक माना गया है। ऐसा विश्वास है कि तिलक लगाने से मस्तिष्क को शांति मिलती है,और एकाग्रता बढ़ती है , सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि माथे पर तिलक क्यों लगाया जाता है और यह हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित करता है |

1.Historical and culture significance :-

Tilak लगाने की परंपरा की जड़ें वैदिक काल तक जाती हैं। प्राचीन ऋषि-मुनि यज्ञ और अनुष्ठानों के समय माथे पर चंदन, भस्म या कुमकुम का तिलक लगाते थे। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा नहीं था, बल्कि आध्यात्मिक चेतना और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी था।

Different Tilak Styles in Hindu Communities

भारत की विविध परंपराओं में तिलक के कई प्रकार प्रचलित हैं:

  • Shaivites (शैव संप्रदाय) → माथे पर तीन क्षैतिज रेखाएँ (Tripund) लगाई जाती हैं। यह भगवान शिव, भस्म और वैराग्य का प्रतीक है।

  • Vaishnavites (वैष्णव संप्रदाय) → माथे पर “U” आकार का तिलक लगाया जाता है। यह भगवान विष्णु और उनके चरणचिह्न का प्रतिनिधित्व करता है।

  • Shaktas (शाक्त संप्रदाय) → लाल सिंदूर या कुमकुम का तिलक लगाया जाता है। यह शक्ति, ऊर्जा और मातृ-शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

Cultural Relevance

आज भी भारत में तिलक केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक पहचान, धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। विवाह, व्रत, त्योहार और दैनिक पूजा में तिलक का विशेष महत्व है।

Hindu priests with kind eyes and Tilak
Hindu priests with kind eyes and Tilak

2. Spiritual Meaning of Tilak :-

Ajna Chakra (Third Eye) Activationआज्ञा चक्र, जिसे तीसरा नेत्र भी कहा जाता है, हमारे माथे के बीच स्थित होता है और इसे चेतना तथा आत्मज्ञान का केंद्र माना जाता है। जब हम यहाँ तिलक लगाते हैं तो यह स्थान सक्रिय होता है और मन अधिक एकाग्र तथा स्थिर होता है। योग और ध्यान की परंपराओं में माना जाता है कि तीसरे नेत्र के जाग्रत होने से अंतर्ज्ञान बढ़ता है, विचारों में स्पष्टता आती है और व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होता है। तिलक इसी आज्ञा चक्र को सक्रिय कर हमारी मानसिक शक्ति और आध्यात्मिक चेतना को मजबूत करता है।

Divine Energy Connection तिलक को दिव्य ऊर्जा से जुड़ने का माध्यम माना जाता है। शास्त्रों में वर्णन है कि माथे पर तिलक लगाने से शरीर में प्रवाहित ऊर्जा का संतुलन बना रहता है और आत्मा ईश्वर की शक्ति से जुड़ती है। पूजा-पाठ या मंदिर दर्शन के समय लगाया गया तिलक मन को पवित्र करता है और साधक को आध्यात्मिक अनुभव कराता है। यह केवल बाहरी चिन्ह नहीं है, बल्कि एक subtle connection है जो हमें दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव कराता है।

Symbol of Purity & Devotion जब कोई व्यक्ति माथे पर तिलक लगाता है, तो यह उसके मन की शुद्धता और ईश्वर के प्रति समर्पण को दर्शाता है। यह चिन्ह हमें अहंकार, नकारात्मकता और सांसारिक भ्रम से दूर रखता है तथा भक्ति और सत्य की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। तिलक केवल परंपरा नहीं, बल्कि यह हमारे आंतरिक आचरण और दिव्यता की पहचान है।

3. Scientific Reasons Behind Tilak

Stress relief & concentration improvement आयुर्वेद और विज्ञान दोनों ही मानते हैं कि भौंहों के बीच का स्थान, जहाँ तिलक लगाया जाता है, एक महत्वपूर्ण प्रेशर पॉइंट है। इसे ‘ब्राह्मरंध्र’ भी कहा जाता है। यहाँ पर तिलक लगाने से नाड़ी तंत्र (nervous system) को शांति मिलती है और मानसिक तनाव कम होता है। यही कारण है कि पूजा, ध्यान या किसी धार्मिक अनुष्ठान के समय तिलक लगाने की परंपरा है। यह स्थान दिमाग को ठंडक प्रदान करता है और एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है।

Cooling Effect of Chandan & Bhasma तिलक के लिए अक्सर चंदन, भस्म या कुमकुम का प्रयोग किया जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से चंदन का लेप माथे को ठंडक पहुँचाता है और शरीर के तापमान को संतुलित रखता है। इससे तनाव कम होता है और मानसिक शांति मिलती है। भस्म (राख) जीवाणुनाशक गुणों से भरपूर होती है और त्वचा को शुद्ध करने का कार्य करती है। वहीं कुमकुम सकारात्मक ऊर्जा और प्रसन्नता का संचार करता है। इस प्रकार तिलक लगाने की परंपरा के पीछे केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी कारण भी छिपे हुए हैं।”

Improves Concentration & Memoryवैज्ञानिक दृष्टि से भौंहों के बीच का क्षेत्र मस्तिष्क के तंत्रिका तंत्र से जुड़ा होता है। इस स्थान पर तिलक लगाने से तंत्रिकाओं पर हल्का दबाव पड़ता है, जिससे मस्तिष्क को उत्तेजना मिलती है और स्मरण शक्ति (memory) बेहतर होती है। यह प्रक्रिया ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को भी बढ़ाती है। यही कारण है कि विद्यार्थी, साधक और योगी तिलक को एकाग्रता और मानसिक शक्ति का साधन मानते हैं। नियमित रूप से तिलक लगाने से मन भटकने से बचता है और सोचने की क्षमता तीव्र होती है।”

Protects from Negative Energy तिलक को नकारात्मक ऊर्जा से बचाव का साधन भी माना गया है। जब माथे पर तिलक लगाया जाता है तो यह एक तरह की सुरक्षा कवच (protective shield) की तरह काम करता है। आयुर्वेदिक दृष्टि से तिलक में प्रयुक्त होने वाले चंदन, कुमकुम या भस्म में ऐसे गुण होते हैं जो मानसिक संतुलन बनाए रखते हैं और व्यक्ति को नकारात्मक विचारों व ऊर्जा से दूर रखते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार तिलक लगाने से व्यक्ति का आभामंडल (aura) मजबूत होता है और आसपास का वातावरण शुद्ध बना रहता है।