Navratri Day 1 Secrets: शैलपुत्री मंत्र से पाएँ सुख-समृद्धि (जरूर आजमाएँ )
Navratri day 1 नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की विशेष पूजा करें! जानिए शक्तिशाली मंत्र, सही पूजा विधि, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 2025 और व्रत रेसिपीज़ जो देंगी धन-समृद्धि। #Navratri2025 #ShailputriPuja"


नवरात्रि हिंदुओं का सबसे प्रिय त्यौहार है जिसमें संपूर्ण हिंदू समाज माता आदि शक्ति भगवती दुर्गा माता के नौ रूपों की पूजा अर्चना करता है ,
नवरात्रि मे माता की शक्ति रूपों की पूजा अर्चना की जाती है जिसमें रात्रि जागरण कीर्तन किया जाता है,
नवरात्रि के दिनों मे प्रत्येक दिन माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है जिसमें से पहले दिन माता के शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है।
लिए चलते हैं जानते हैं माता की पूजा अर्चना किस प्रकार से करें ?
🌞 **सुबह की शुरुआत (5:00 AM)**
1. **उठने का मंत्र**: *"कराग्रे वसते लक्ष्मी..."* (हाथ देखकर)
2. **विशेष स्नान**:
- 1 लीटर पानी में मिलाएं:
✓ 2 चम्मच गंगाजल
✓ 5 नीम पत्ते
✓ 1 चुटकी हल्दी
3. **पहनावा**: हाथ से बुनी हुई लाल/पीली साड़ी या धोती (खादी/हैंडलूम)
🪔 **कलश स्थापना (6:12 AM - शुभ मुहूर्त)**
**वैज्ञानिक सेटअप**:
| सामग्री | आधुनिक महत्व |
|----------|--------------|
| तांबे का कलश | प्राकृतिक वॉटर प्यूरीफायर |
| सप्तमृत्तिका | मिट्टी के 7 प्रकार के मिनरल्स |
| जौ के बीज | वायु शुद्धिकरण के गुण |
**मंत्र**:
> *"ॐ आद्य शक्तये शैलपुत्र्यै धरित्री स्वाहा"* (21 बार)
🌿 **पूजा की विशेष सामग्री**
1. **5 प्रकार के पत्ते**:
- अशोक (मानसिक शांति)
- बेल (पाचन तंत्र)
- तुलसी (एंटी-वायरल)
- आम (विटामिन सी)
- केला (पोटैशियम)
2. **भोग**:
- गुड़+घी (प्रीबायोटिक)
- काले चने (प्रोटीन)
📜 **कथा का गूढ़ रहस्य**
माता शैलपुत्री की कथा नवरात्रि के पहले दिन की जाती है। माता शैलपुत्री, नवदुर्गाओं में प्रथम हैं और इन्हें पार्वती जी का अवतार माना जाता है। इनका जन्म राजा हिमालय के घर हुआ था, इसलिए इन्हें "शैलपुत्री" कहा जाता है।
माता शैलपुत्री की कथा
पिछले जन्म में, माता शैलपुत्री सती के रूप में प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं। सती का विवाह भगवान शिव से हुआ था, लेकिन एक बार दक्ष ने यज्ञ किया और उसमें भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। सती जब बिना बुलाए यज्ञ में पहुंचीं, तो वहां उनके पति शिव का अपमान किया गया। इससे व्यथित होकर सती ने स्वयं को यज्ञ अग्नि में समर्पित कर दिया।
इसके बाद, सती ने अगले जन्म में राजा हिमालय के घर शैलपुत्री के रूप में जन्म लिया। उन्होंने घोर तपस्या कर पुनः भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया। माता शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल होता है। वे नंदी नामक वृषभ पर सवारी करती हैं।
माता शैलपुत्री की पूजा का महत्व
माता शैलपुत्री की आराधना से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
मन में स्थिरता और शक्ति का संचार होता है।
माता की कृपा से आध्यात्मिक उन्नति होती है।
मंत्र:
"वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥"
🍽️ **व्रत आहार चार्ट**
| समय | भोजन | कैलोरी |
|------|----------------|--------|
| 8 AM | साबुदाना खिचड़ी + मूंगफली | 350 |
| 1 PM | सिंघाड़े का पकोड़ा + हरी चटनी | 290 |
| 7 PM | लौकी का सूप + भुने मखाने | 180 |
**टिप**: डायबिटीज के रोगी गुड़ की जगह **शहद** उपयोग करें
